धर्म के नाम पर होते हैं चमत्कार ।
धर्म माफ़ करवा देता है बलात्कार ।।
धर्म हो तो नशा भी लगता है प्रसाद ।
धर्म के नाम पर लोग होते हैं बर्बाद ।।
धर्म के नाम पर पशुओं का मलमूत्र भी है स्वीकार ।
वो ही धर्म इंसानों का करता है बहिष्कार ।।
धर्म के नाम पर पूज्य हो जाते हैं नंगे ।
धर्म के नाम पर मौज उड़ाते है भिखमंगे ।।
दया धर्म का मूल है ।
लेकिन यही धर्म इंसानियत पर शूल है ।।
धर्म सिखाता है आपस में करना प्यार ।
सबसे ज्यादा धर्म ही करता है नफरत का प्रसार ।।
धर्म के नाम पर कितना ही अन्न होता है बर्बाद ।
भूख से मरते हजारों लोगो किसी को नही आते याद ।।
धर्म के नाम पर पैदल चलते हैं मील हजार ।
किसी अंधे को कोई कराता नही सड़क पार ।।
धर्म के नाम पर खिलाते है पत्थरों को भोग ।
नही दिलवाता कोई उसको दवा जिसको है कोई रोग
।।
धर्म के नाम पर बाँटते हैं गीता कुरान और बाइबिल ।
नही बाँटता कोई स्कूल की किताब जिससे ज्ञान
जाता मिल ।।
धर्म के नाम पर पत्थरों से भी करते प्यार ।
नही पूजते उन माँ बाप को जिन्होंने जीवन
का दिया उपहार ।।
धर्म के नाम पर पशु भी बन जाती माता ।
लेकिन बेटी को कोख में ही मार दिया जाता ।।
धर्म माफ़ करवा देता है बलात्कार ।।
धर्म हो तो नशा भी लगता है प्रसाद ।
धर्म के नाम पर लोग होते हैं बर्बाद ।।
धर्म के नाम पर पशुओं का मलमूत्र भी है स्वीकार ।
वो ही धर्म इंसानों का करता है बहिष्कार ।।
धर्म के नाम पर पूज्य हो जाते हैं नंगे ।
धर्म के नाम पर मौज उड़ाते है भिखमंगे ।।
दया धर्म का मूल है ।
लेकिन यही धर्म इंसानियत पर शूल है ।।
धर्म सिखाता है आपस में करना प्यार ।
सबसे ज्यादा धर्म ही करता है नफरत का प्रसार ।।
धर्म के नाम पर कितना ही अन्न होता है बर्बाद ।
भूख से मरते हजारों लोगो किसी को नही आते याद ।।
धर्म के नाम पर पैदल चलते हैं मील हजार ।
किसी अंधे को कोई कराता नही सड़क पार ।।
धर्म के नाम पर खिलाते है पत्थरों को भोग ।
नही दिलवाता कोई उसको दवा जिसको है कोई रोग
।।
धर्म के नाम पर बाँटते हैं गीता कुरान और बाइबिल ।
नही बाँटता कोई स्कूल की किताब जिससे ज्ञान
जाता मिल ।।
धर्म के नाम पर पत्थरों से भी करते प्यार ।
नही पूजते उन माँ बाप को जिन्होंने जीवन
का दिया उपहार ।।
धर्म के नाम पर पशु भी बन जाती माता ।
लेकिन बेटी को कोख में ही मार दिया जाता ।।
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